लॉक डाऊनच्या स्थितीत गरीब-श्रमिक-विस्थापितांसाठी मेधा पाटकर यांचे 24 तासांचे इशारा उपोषण सुरु


जिल्हाधिकारी उपोषण स्थळी चर्चेसाठी पोहोचले


साथियों, जिंदाबाद! 
लॉक डाऊनच्या स्थितीत गरीब-श्रमिक-विस्थापितांना संस्था संघटना सगळेच यथाशक्ती मदत करत आहोत. परंतु त्याला फार मर्यादा आहेत. खरी जबाबदारी सरकारची आहे.  सर्व निर्णय आणि इन्फ्रास्ट्रक्चरही सरकारच्या हाती आहे.
मागील कित्येक दिवस, आपापल्या गावी जाऊ बघणाऱ्या श्रमिकांच्या वाहनांची व्यवस्था व्हावी यासाठी मेधाताई पाटकर प्रत्यक्ष रस्त्यावर आहेत. कधी गुजराथ-मध्यप्रदेश बॉर्डरवर तर कधी महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश बॉर्डरवर. आश्वासने मिळतात, अंमलबजावणी नाही. कधी वाहने येतात, पण या भुकेल्या श्रमिकांना पंधरा-पंधरा किलोमीटर्स चालाायला लावून कुठेतरी वाहनात बसवले जाते. कधी सरकारचे तर कधी नोकरशाहीचे वर्तन अनाकलनीय आणि संवेदनहीन असते.
अशा परिस्थितीत, काही स्पेसिफिक मागण्या घेऊन मेधा पाटकर यांनी आज सकाळी 9 पासून 24 तासांचं इशारा उपोषण जाहीर केलं आहे. *या मागण्या पूर्ण झाल्या नाहीत तर हे उपोषण अनिश्चितकालीन चालेल असं त्यांनी म्हटलं आहे.
या मागण्या अवाजवी तर नाहीतच, सरकारसाठी अशक्यही नाहीत.
या मागण्या समजून घ्या. समर्थन द्या. आपापल्या माध्यमांतून सरकारकडे आग्रह धरा.


- संजय मंगला गोपाळ 
राष्ट्रीय संयोजक
जन आंदोलनांचा राष्ट्रीय समन्वय (NAPM)



मेधा पाटकर यांचे निवेदन


श्रमिकों के न्यायके लिये सत्याग्रह...भूख हड़ताल!
साथियों ,
 जबकि पूरा देश देख रहा है कि लॉक डाउन के चलते और जारी रहते हुए श्रमिकों की न केवल उपेक्षा पर अवहेलना हो रही है! स्थलांतरित श्रमिकों के साथ-साथ सभी मेहनतकश लोगों के लिए अपने घर वापस जाना या राहत और रेशन पाना मुश्किल है! सरकार और संगठनों के, संस्थाए, सामाजिक समूहों के कोशिशों के बावजूद भूखे रहने से और चिंतित होने से जो करोड़ों लोग अपने घर द्वार छोड़कर दूसरे शहरों या गांव में जाकर अपने मेहनत की पूंजी लगाते हैं, उन निवेशकों को उनके घर तक वापस ले जाने का कार्य भी सरकारें करने को तैयार नहीं है! कहीं ना कहीं राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है, आन्तरराज्य समन्वय का अभाव है और बताते हैं कि फंड की भी कमी है! प्रत्यक्ष में आपदा प्रबंधन फंड, श्रम मन्त्रलयों केे विविध फंड आदिकी कोई कमी नहीं होनी चाहिए!
आज हम देख रहे हैं कि राज्यों की सीमा रेखा पर कभी बंदी लगाई जाती है, कभी खोली जाती है! हजारों हजारों मजदूर इसीलिए रोकथाम के बावजूद पैदल चल पड़े हैं! उन लोगों के लिए सैकड़ों किलोमीटर रास्ते से जाने के लिए वाहन व्यवस्था बनाने के आदेश के बावजूद जो कहीं राज्य शासन ने किए हैं और जिलाधिकारियों को जिम्मेदारी दी है, पर सही नियोजन और समय पर निर्णय का अभाव हम देख रहे हैं!
कई दिनों की कोशिशों के बावजूद गुजरात, महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच की स्थिति देखकर और अन्य राज्यों की स्थिति को जानकर सैकड़ों की मौत का अनुभव करते हुए, हम लोगों को लगता है कि समय आया है कि हम सत्याग्रह शुरू करें !!
हम आज सुबह 9:00 बजे से 24 घंटे का चेतावनी उपवास शुरू कर रहे हैं! अन्य कोई भी साथी, किसी जिले या राज्य के, इस में जुड़ना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है !!
24 घंटे में अगर सही निर्णय और कार्यवाही नहीं हुई तो हम आगे कदम बढ़ाएंगे और अनिश्चितकालीन सत्याग्रह  भूख हड़ताल के रूप में शुरू रखेंगे!!  हमारा ऐलान है कि देश के सत्ताधीश और समाज, दोनों बहुत ही गंभीरता से समझे!!
*** रेल और वाहन व्यवस्था तत्काल शुरू करें! मजबूर न करें उनको पांव में छाले लेकर चलने के लिए!!
*** हर ठेकेदार या मालिक से मार्च महीने का पूरा वेतन दिलवाया जाए, श्रमिक वापस क्यों ना आए हो ! श्रमायुक्त के आदेशों का पालन हो!!
*** स्थलांतरित नागरिकों का रजिस्ट्रेशन का कार्य आन्तरराज्य स्थलांतरित मजदूर कायदा 1979के तहत तत्काल शुरू किया जाए!!
***हर इंसान तक पहुंचे राहत और राशन...उसके पास राशन कार्ड और पर्ची हो या ना हो !!
***आन्तरराज्य शासन समन्वय का अभाव एक कारण बन गया है, आजकी स्थिति का !!
***समन्वय के साथ और संस्था संगठनों को ,सामाजिक सेवकों को भी शामिल करते हुए निर्णय लिए जाए!
24 घंटेमे अगर निर्णय और कार्यवाही नही होती तो हम आगे कदम बढाएंगे!!


आपके साथी,
एम.डी.चौबे,
मेधा पाट्कर